रायपुर 16.06.19 । ग्रीष्म कालीन अवकाश समाप्त होने के साथ ही मंगलवार, दिनांक 18.06.19 से नए शिक्षा सत्र प्रारम्भ होने जा रहा है, हालाँकि बच्चे दिनांक 24.06.19 से शाला आएंगे। नए शिक्षा सत्र प्रारम्भ होने के साथ ही शिक्षकों को नई -नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा , शिक्षकों को भी इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।
ग्रामीण परिवेश ,बच्चों के पास अध्ययन की सिमित सामग्री ,एक पक्षीय शैक्षणिक गतिविधि ,सिमित साधन ,कार्यों की अधिकता ,शिक्षकों की कमी,कक्षा -कक्ष जैसे कई चुनौतियां सत्र प्रारम्भ होते ही शिक्षकों के सामने होगा।
प्राथमिक स्तर के शालाओं में एक व्यवहारिक समस्या भी है ,क्योंकि सत्र प्रारम्भ होते ही प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को हाईस्कूल /हायर सेकेंडरी स्कूलों में संलग्न कर दिया जाता है और शासन द्वारा गुणवत्ता जांच किया जाता है।
दरअसल पिछले दो -तीन वर्षों से प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है ,जिसके तहत बच्चों के लर्निंग आउटकम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश भर के शासकीय स्कूलों में ग्रामसभा का आयोजन कर गुणवत्ता आधारित सर्वे कराया गया था तथा इस सर्वे के आधार पर C और D ग्रेड प्राप्त स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता सुधार हेतु विभिन्न प्रकार के कार्य योजना तैयार कर गुणवत्ता सुधार हेतु प्रयास किया गया।
शासन द्वारा प्रदेश के सभी शासकीय शालाओं में गुणवत्ता सुधार हेतु चलाये जा रहे ड़ॉ ए पी जे शिक्षा गुणवत्ता अभियान का असर भी हुआ है ,ज्यादातर स्कूलों के स्थिति में अप्रत्यासित सुधार हुआ है। शालाओं में चाहे मॉनिटरिंग के नाम पर हो या शिक्षकों में स्वस्फ़ूर्त ही कार्य करने की इच्छा शक्ति ,इसमें कोई दो मत नहीं कि शिक्षकों के मेहनत से ही शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार संभव हुआ है।
ऐसा भी नहीं है कि शिक्षक डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम गुणवत्ता अभियान के आने से ही मेहनत किये हैं ,इससे पहले भी शिक्षक ऐसे ही कर्तव्य निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते आ रहे हैं।
शक्षक एलबी न्यूज़ द्वारा C और D ग्रेड प्राप्त स्कूलों के बारे में पड़ताल किया गया तो ,पता चला कि C और D ग्रेड प्राप्त ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक बच्चों के अनुपात में कम हैं, और ऐसे में गुणवत्ता की अपेक्षा करना कहाँ तक न्याय संगत है ?
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