रायपुर। छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों पहले सम्पन्न हुए विधानसभा निर्वाचन के दौरान छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग के द्वारा कराये गए सर्वे में शिक्षकों के कर्तव्यनिष्ठा और ईमादारी का लोहा मानते हुए कहा गया था कि निर्वाचन कार्य में जहाँ शिक्षकों की ड्यूटी लगी होती है ,वहां गलती नहीं के बराबर होती है।
छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग के द्वारा कराये गए सर्वे में स्पष्ट कहा गया था कि शिक्षक किसी भी कार्य को अन्य विभाग के कर्मचारियों के अपेक्षा जल्दी ही समझ जाते हैं। किसी भी कार्य को शिक्षक गंभीरता से करते हैं यही कारण है कि शिक्षकों से गलती होने की संभावना बहुत कम होती है।
शिक्षकों से संबंधित प्रचलित धारणा के संबंध में एक और शोध सामने आया है जोकि शिक्षकों के लिए निश्चित ही राहत भरी खबर है। राज्य स्तरीय शिक्षक एलबी व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
सरकारी स्कूल के शिक्षकों के संबंध में ऐसी धारना है कि सरकारी स्कूल के शिक्षक ज्यादा गैरहाजिर होते हैं ,इस प्रचलित धरना के ठीक विपरीत अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने अपने शोध में दावा किया है कि सरकारी स्कूल के शिक्षक अकारण ही गैरहाजिर नहीं होते हैं , यदि गैरहाजिर भी होते हैं तो 2.5 % ही, जो की बहुत बड़ी समस्या नहीं है।
दरअसल अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के द्वारा शिक्षकों के गैरहाजिरी को लेकर 16 राज्यों के 619 स्कूलों का शोध किया गया ,जिसमे पाया गया कि सिर्फ 2.5 % शिक्षक ही गैरहाजिर थे ,जोकि शिक्षकों के गैरहाजिरी से संबंधित पहले से प्रचलित धारणा से बहुत ही कम है।
शिक्षकों के गैरहाजिरी को लेकर पहले से प्रचलित धारणा के अनुसार 20-25 % शिक्षक गैरहाजिर रहते हैं जोकि गलत है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के द्वारा किये गए शोध में कहा गया है कि सिर्फ 2.5 शिक्षक ही गैरहाजिर होते हैं वह भी गंभीर कारण होने पर ही।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के द्वारा शिक्षकों के गैरहाजिरी को लेकर 16 राज्यों के 619 स्कूलों का शोध किया गया ,शोध के दौरान 17 फीसदी शिक्षक स्कूल में मौजूद नहीं थे , लेकिन उनके पास प्रशिक्षण ,बैठक व अवकाश जैसे वाजिब कारण थे।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के द्वारा किया गया यह शोध निश्चित ही शिक्षकों के प्रति प्रचलित धारणा को बदलने में कारगर साबित होगा।
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