कोरोना संकट काल मे 10 मार्च से विद्यालय के पट छात्रों के लिए बंद है ,और स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार के निर्देश पर 10 वी व 12वी को छोड़कर सभी को अगली कक्षा में प्रोन्नति दे दी गई । स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्रों के हित ,सतत संपर्क में रहने के उद्देश्य से मा मुख्यमंत्री के हाथों ,पढ़ाई तुंहर दुवार, योजना के माध्यम से वर्चुअल क्लास की शुरुआत बड़ी जोर शोर से की गई ।
जैसे ही छात्रों से मोबाइल नंबर लेकर ऑनलाइन क्लास शिक्षक ने लेना शुरू किया , कुछ दिन बाद समझ में आ गया कि छात्र ने जो मोबाइल नंबर दिया था वह चाचा ,पिता ,भाई व अन्य रिश्तेदार का था ,साथ ही नेट पैक व नेटवर्क की समस्या तथा बस्तर सहित सुदूर व ग्रामीण अंचल में मोबाइल टॉवर का अभाव। 2 प्रतिशत छात्र ही सुविधाओं से लैस क्लास अटेंड कर पा रहे हैं ।शासन की वर्चुअल क्लास से लगा तार जुड़ने के कारण आँख टेढ़ा होना सहित सिर दर्द व मानसिक तकलीफ होने की जानकारी के साथ 85 प्रतिसत छात्रों को वंचित या अरुचि या संसाधन का अभाव पाया गया ।
25 मार्च से प्रवासी मजदूर का आना शुरू हुआ और राज्य के सभी लगभग 40 हजार प्राथमिक विद्यालय सहित मिडिल ,हाई ,हायर सेकेंडरी स्कूल को क्वारेन्टीन सेंटर बनाकर प्रवासी मजदूर को रोकने का आवास बना दिया जो माह जून के आख़िर तक चलता रहा और छ ग राज्य में कोरोना का नगण्य मरीज से कोरोना पसेन्ट की बढ़ोत्तरी लगातार जारी है ।
शासन ने सभी विद्यालय को सेनेटाइज कर साफ सफाई का निर्देश पंचायत को दिया परंतु शिक्षकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 90 % विद्यालय जहाँ से कोरोना मरीज मिलने के बावजूद सिनेटीज व सफाई नही हुई है। 1 जुलाई से नए सत्र की शुरुआत हुई और भारत शासन ने 31अगस्त तक विद्यालय नही खोलने का फरमान जारी किया है ।
इस बीच सरकार के कुछ अधिकारियों को शिक्षकों को खाली होकर वेतन लेने की शंका से ग्रीष्म अवकाश में कोरेन्टीन सेंटर ,प्रवासी मजदूर को ट्रेन से लेकर सेंटर तक पहुचाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी और खाली पेट भूखे पयासे शिक्षक गली व रोड तथा रेलवे स्टेशन में सोकर मजदूर को लाने में ड्यूटी करते कोरोना मरीज बने और कई शिक्षक मौत के शिकार हुए इन सबके बावजूद शिक्षक ने अपने मास्क व सेनेटाइज से मजबूती से ड्यूटी किए।
15 जुन से नए सत्र की शुरुआत हुई है और शिक्षकों ने कोरोना संक्रमण से ग्रसित विद्यालय में बिना सेनेटाइज किये जगह में मध्यान्ह भोजन के अंतर्गत सूखा राशन का वितरण कर रहे हैं और विद्यालय के सभी गतिविधियों में शामिल हो रहे है । वर्चुअल क्लास के भारी असफलता के बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ,पढ़ाई तुंहर द्वार , के दूसरे चरण में 30 जुलाई से लाउड स्पीकर से लेकर मुहल्ले में शिक्षकों को उपलब्ध साधन के आधार पर क्लास लेने का निर्देश दिया गया।
गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग का दलील -
आज के दौर में चोगा व लाउडस्पीकर हरेक गॉव में नहीं है
लाउडस्पीकर है तो बैट्री नहीं है गांव में 24 घंटे बिजली नहीं रहती
बेजा कब्जा से ग्रसित गॉव में छात्रों को बिठाने के लिए प्रर्याप्त जगह व साधन नहीं है
कक्षा 5 से 12 तक के बच्चों को शौचालय व पीने के लिए पानी नहीं
बरसात के बावजूद भीषण गर्मी ,उमस में लगातार 4 से 6 घंटा तक विद्या अर्जन से बच्चों को बीमार पड़ने की आशंका
बरसात में गंदगी व बरसाती कीड़े साप बिच्छू व अन्य प्रकार के बीमारी व बिना उचित उपाय के खतरों से निपटने में मुश्किलें आएगी
गर्मी से बेहाल बच्चों को बिना बिजली ,पानी ,शौचालय, के सड़क में लगातार चार से छः घंटे एकजगह बिठाने से डायरिया, डिहाइड्रेशन, सिरदर्द ,बेचैनी व अन्य शारिरिक मुश्किल पैदा होगी*
सार्वजनिक जगह में गली मोहल्लों में बड़ी लड़किया व महिला शिक्षक के उपस्थित होने से अप्रिय घटना की आशंका हमेशा बनी रहेंगी
प्राथमिक, मिडिल, हाई व हायर सेकेंडरी के कक्षा का संचालन एक साथ गली मोहल्ले में पढ़ाना संभव नहीं
कृष्णकुमार नवरंग-
गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग के उपरोक्तानुसार सभी बातों पर गौर किया जाय तो यह निष्कर्ष निकलता है कि अगर हम विद्यालय को खोलकर ,मास्क, सेनेटाइज,व सोसल डिस्टेंस के साथ रोस्टर वार कक्षा व उपलब्ध कमरे के मुताबिक विद्यालय में पढ़ाई कराते हैं तो किसी को परेशानी नहीं होगी और विद्यालय भी सुचारू चलती रहेगी।
कोरोना से हुई शिक्षक की मौत गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग ने की शासन से मुआवजा राशि की मांग -
प्राथमिक शाला देवादा, संकुल केंद्र हसदा, विकासखंड -बेरला, जिला - बेमेतरा में पदस्थ शिक्षक विनोद पटेल का कोरोना से निधन हो गया है। परिवार से प्राप्त जानकारी अनुसार कोरोना पॉजिटिव आने पर 27 जुलाई से एम्स रायपुर में इलाज चल रहा था वे प्रारंभ से ही वेंटीलेटर में थे और आज निधन हो गया। शिक्षक एवं संघ परिवार सर के निधन पर संवेदना व्यक्त किया है ।गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग ने इस घटना पर संवेदना व्यक्त की है और शासन से मुआवजा तथा अनुकम्पा नियुक्ति की मांग की है।
संघ ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से निपटने शिक्षकों की ड्यूटी खतरनाक परिस्थितियों में लगाई गई है। ppe किट जैसे बुनियादी जरूरते भी नही दी गई है। इन शिक्षकों को पास कोरोना मरीजो से खुद को कैसे सुरक्षित रखें, इसकी आधी अधूरी ट्रेनिंग दी गई है।
ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के बीच गली मोहल्लों में पढ़ाई शुरू करा दी गई है। अब जब कोरोना का सोशल स्प्रेड आरम्भ हो गया है तब और भी ज्यादा सुरक्षा बरतने की दरकार है, तो दूसरी ओर शिक्षको को गांव में पढ़ाई चालू कराने के लिए कहा जा रहा है। एक भी बच्चे को संक्रमण हुआ तो इसका खामियाजा पूरे परिवार व गांव को भुगतना पड़ेगा।
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