राजनंदगाँव सीएमएचओ मिथलेश चौधरी के अनुसार स्कूल खुलते ही राजनंदगांव के युगांतर पब्लिक स्कूल में बच्चों और स्टॉप का सैम्पल लिया गया था ,जिसमे 2 बच्चे सहित 9 स्टॉफ का सेम्पल पॉजिटिव आया है। सीएमएचओ मिथलेश चौधरी ने बच्चे और स्टॉफ सहित कुल 11 लोगों का कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि किया है।
उन्होंने बताया कि कल से सभी बच्चों और स्टॉफ का कोरोना टेस्ट कराया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सभी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया गया है , यदि किसी बच्चे या स्टॉफ में कोरोना का लक्षण दिखाई देता है तो उसे स्कूल नहीं जाना है। शासन द्वारा भी बच्चों के लिए मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संबंधी निर्देश पहले से ही जारी किया जा चुका है।
इससे स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में अभी कोरोना पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। शासन के निर्देशानुसार स्कूलों को मास्क ,सेनेटाइजर के साथ -साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है।
शाला खोले जाने के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती -
भिलाई निवासी छत्तीसगढ़ छात्र -पालक संघ के अध्यक्ष नजरुल खान ने हाई कोर्स बिलासपुर में याचिका दायर की है और सरकार के शाला खोलने के फैसले को चुनौती दी है | याचिका में कहा गया है अभी प्रदेश में कोरोना के नये-नये मामले सामने आ रहे हैं | प्रदेश में अभी कोरोना खत्म नही हुआ है ,इस लिए अभी स्कूल नही खुलना चाहिए |
उन्होंने कहा है कि चूँकि अभी प्रदेश में कोरोना खत्म नही हुआ है और ऐसे में यदि स्कूल खोले जाते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग तो टूटेगा ही साथ ही कोरोना का खतरा और बढ़ जायेगा।
छत्तीसगढ़ में राज्य शासन के फैसले के आधार पर कल ही कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के स्कूल ,कालेज खोले गए है और कल ही छत्तीसगढ़ छात्र -पालक संघ द्वारा सरकार के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
छत्तीसगढ़ छात्र -पालक संघ के अध्यक्ष नजरुल खान ने अपने वकील के माध्यम से तर्क देते हुए कहा है कि वैक्सीनेशन भी अभी हेल्थवर्कर्स को लग रहा है ,इसके बाद 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लगाया जायेगा तब जाकर कहीं विद्यार्थियों की बारी आएगी। उन्होंने कहा है कि जब तक वैक्सीनेशन को लेकर स्थिति साफ़ नहीं हो जाती तब तक शासन को इतनी हड़बड़ी में स्कूल नहीं खोलना चाहिए।
स्कूलों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना टेढ़ी खीर -
स्कूलों के लिए शाला में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है ,क्योंकि कक्षा में तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं ,परन्तु शाला से बाहर आते ही लम्बे समय से दूर रहे अपने मित्रों से मिलने पास आ जा ही रहे हैं। कक्षा 9 से 12 तक के बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व तो समझते हैं ,परन्तु स्कूलों में भीड़ इकट्ठा होने से कहीं न कहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन एक चुनौती है।
स्कूलों में रखें पर्याप्त सावधानी -
वैसे तो शासन द्वारा शाला में बच्चों को बुलाने ,मास्क ,सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी स्पष्ट और कड़े निर्देश दिए गए हैं ,परन्तु जिस तरह से स्कूलों में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं ,इससे आपको और पर्याप्त सावधानी रखने की आवश्यकता है ,यदि किसी बच्चे में सर्दी ,खासी और बुखार जैसे लक्षण दिखाई देता है तो उसे शाला न आने दें। किसी बच्चे या शिक्षक में ऐसा लक्षण दिखाई देता है तो उसे कोरोना टेस्ट जरूर कराने कहें।
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