अनुकम्पा नियुक्ति मामले में कोर्ट का बड़ा निर्णय- शादीशुदा बेटी भी हकदार

शादीशुदा बेटियों के लिए आज का यह खबर बहुत ही महत्वपूर्ण है ,क्योंकि शादीशुदा महिलाओं के पक्ष में कोर्ट का बड़ा निर्णय सामने आया है | जी हाँ ! कोर्ट ने कहा है कि अनुकम्पा नियुक्ति मामले में केवल शादी हो जाने से बेटियों के साथ असमानता नही किया जा सकता |

मामला मध्य प्रदेश जबलपुर हाई कोर्ट का है ,जहाँ एक जनहित याचिका का सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि जब एक विवाहित पुत्र अनुकम्पा नियुक्ति के हकदार हो सकता है तो यह बेटियों के लिए अलग कैसे हो सकता है | समानता के आधार पर विवाहित पुत्री भी अनुकम्पा नियुक्ति के हकदार है |

सड़क हादसे में जान गंवाने वाली महिला ASI के बेटी की याचिका पर निर्णय -

दरअसल महिला ASI मोहिनी सिंह कोलगवां पुलिस स्टेशन सतना में पदस्थ थीं ,जिनका दिनांक 23 अक्टूबर 2014 को सुबह ड्यूटी में जाते समय सड़क हादसे में मौत हो गई थी ,इसके बाद अनुकम्पा नियक्ति के लिए उनकी बेटी प्रीति सिंह ने एप्लाई किया था | भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर ने यह कहते हुए उनकी एप्लीकेशन निरस्त कर दिया था कि शादीशुदा बेटी अनुकम्पा नियुक्ति के हकदार नही है |

भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर के निर्णय को चुनौती -

भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति एप्लीकेशन निरस्त किये जाने पर प्रीति सिंह द्वारा अपने वकील अनिरुध्द पांडे के माध्यम से जबलपुर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी | कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील अनिरुध्द पांडे ने उनके ओर से दलीलें रखी | 

याचिका में प्रीति सिंह ने बताया कि उनकी माँ मोहिनी सिंह ASI के रूप में कोलगवां पुलिस स्टेशन सतना में पदस्थ थीं | दिनांक 23 अक्टूबर 2014 को सुबह ड्यूटी में जाते समय सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी , उसके बाद अनुकम्पा नियक्ति के लिए एप्लाई किया था | भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर ने यह कहते हुए उनकी एप्लीकेशन निरस्त कर दिया था कि शादीशुदा बेटी अनुकम्पा नियुक्ति के हकदार नही है |

माननीय हाई कोर्ट ने बेटियों के हक में फैसला सुनाया -

जबलपुर हाई कोर्ट ने सोमवार को बेटियों के पक्ष ने फैसला सुनाया | कोर्ट ने कहा कि शादीशुदा भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने के हकदार हैं | कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर उनके आश्रितों में बेरोजगार बेटा नही होने पर बेटी भी आवेदन कर सकती है | बेटी के आवेदन करने से कोई फर्क नही पड़ता कि वह शादीशुदा है या कुंवारी |

बेटियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा -

माननीय हाई कोर्ट का यह निर्णय बेटियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा | सुनवाई के दौरान वकील अनिरुध्द पांडे ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार समानता का अधिकार दिया गया है ,इस लिए अनुकम्पा नियुक्ति में भेद भाव नही किया जा सकता | उन्होंने दलील दिया कि जब शादीशुदा बेटा अनुकम्पा नियुक्ति पा सकता है, तो बेटी क्यों नही ?

कोर्ट ने प्रीति सिंह के वकील के दलीलों से सहमत होकर उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया |आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के शादीशुदा होने के बावजूद अनुकम्पा नियुक्ति दिया जाय |

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