कोरोना ने बढ़ाया सरकारी स्कूलों कद........

कोरोना महामारी ने पूरे विश्व मे तबाही मचा रखी है ,लाखों लोग कोरोना वायरस के चपेट में आकर मौत के गाल में समा चुके हैं। वहीं कोरोना वायरस के रोकथाम के मद्दे नजर शासन द्वारा लगाए गए लॉक डाउन से लाखों ,करोड़ों लोगों का व्यवसाय या तो घाटे में चला गया है या बन्द हो चुका है।


लाखों ,करोड़ो लोग ऐसे हैं जिनको नौकरी से हाथ धोना पड़ा है ,लोगों के पास अपने बच्चों को किसी अच्छे से प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने तक के लिए पैसे नही है ,इसके अतिरिक्त शासकीय शिक्षकों द्वारा कोरोना ड्यूटी के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए कई तरीके का ईजाद किये हैं, शायद यही कारण है कि लोग प्राइवेट स्कूल से मुह मोड़कर सरकारी स्कूल का रुख कर रहे हैं।

जो लोग सरकारी स्कूल के प्रति गलत धारणा रखते थे ,कोरोना ने लोगों की सोच ही बदल दिया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि लोग प्राइवेट स्कूल को छोड़ कर सरकारी स्कूल में अपने बच्चों का एडमिशन करा रहे हैं।

सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल में सीट से कई गुना अधिक आवेदन-

प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण पूरे लगभग पूरे सत्र बच्चों के लिए शाला बन्द रहा ,परन्तु प्राइवेट स्कूलों द्वारा पालकों से ऑनलाइन क्लास के नाम पर फीस की वसूली की गई, ऐसे में कई पालक प्राइवेट स्कूलों के इस रवैये से खासा नाराज है | पालकों के पास विकल्प के तौर पर स्वामी आत्मानंद इंग्लिश माध्यम  स्कूल है  ,शायद यदि कारण है कि प्रत्येक जिले में स्वामी आत्मानंद स्कूल में प्रवेश हेतु कक्षावार 40-40 सीट के लिए हजार -हजार तक आवेदन प्राप्त हुआ है।

लोगों को लगने लगा है कि किसी प्राइवेट स्कूल को बिना क्लास लगे क्यों पूरे सत्र का फीस अदा करें। स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के लिए प्रवेश हेतु आवेदन प्रक्रिया शुरू होने कुछ दिन बाद ही सीट फूल हो गया था।

प्रदेश में नई शिक्षा सत्र की शुरुआत 16 जून से होने जा रही है , कोरोना के कारण शासन द्वारा स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर रोक लगा दिया गया है, बच्चों के लिये स्कूल कब तक खुलेगा ,स्पष्ट नही है , ऐसे में पालक बच्चों को प्राइवेट स्कूल के महंगी फीस से छुटकारा पाने के लिए  सरकारी स्कूल में भर्ती कर रहे हैं।

शाला बंद  और महंगी फ़ीस वसूली रही प्रमुख वजह -

पिछले कुछ वर्षों से लोगों का रुख ओ प्राइवेट स्कूलों की ओर ज्यादा हो रहा था,परन्तु कोरोना के कारण शाला बन्द और महंगी फिस वसूली ने पालकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।  सत्र 2020-21 में कोरोना के कारण पूरे सत्र स्कूलों का संचालन शासन द्वारा बन्द रखा गया था ,परन्तु ऑनलाइन क्लास के नाम पर प्राइवेट स्कूलों द्वारा पालकों से पूरी फीस वसूली की गई । वर्तमान सत्र में भी बच्चों की उपस्थिति को लेकर स्थिति स्पष्ट नही है ,इस लिए पालक फ्री में फ़ीस देना नही चाहते और सरकारी स्कूल अपने बच्चों को प्रवेश दिला रहे हैं |

इस सत्र भी स्थिति स्पष्ट नही -

जैसाकि आपको विदित है प्रदेश में कोरोना पूरी तरीके से खत्म नही हुआ है , वहीं आगामी कुछ महीनों में कोरोना की तीसरी लहर की बात सामने आ रही है ,जिसमें बच्चों का सबसे ज्यादा प्रभावित होने की बात कही जा रही है ,इस लिए शासन भी बच्चों को लेकर रिक्स लेना नही चाहती | राज्य शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक स्थिति सामान्य नही हो जाती बच्चों के लिए शाला बंद रहेंगे |

ऑनलाइन क्लास के माध्यम से होगी पढ़ाई -

जब तक स्थिति सामान्य नही हो जाती तब तक स्कूलों में ऑनलाइन माध्यम से पढाई जारी रहेगा ,शासन ऑनलाइन क्लास को पहले से कहीं ज्यादा मजबूती प्रदान करना चाहती है ,इस लिए प्रत्येक जिले में जिला स्तर पर प्राथमिक ,पूर्व माध्यमिक ,हाई /हायर सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षकों का टेलीग्राम ग्रुप तैयार कर जोड़ा जा रहा है ,वहीं बच्चों का कक्षावार व्हाट्सएप ग्रुप भी तैयार करने को कहा गया है |

शिक्षकों को जाता है इसका श्रेय-

कोरोना ड्यूटी के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए शिक्षकों ने जिस प्रकार प्रयास किये हैं , वह बहुत ही सराहनीय है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा भी प्रदेश के शिक्षकों द्वारा कोरोना काल मे पढ़ाई जारी रखने के लिए जा रहे प्रयासों के लिए तारीफ भी कर चुके हैं। सरकारी स्कूल में दर्ज संख्या में वृद्धि का श्रेय शिक्षकों को ही जाता है।

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