शाला खोलने की मांग को लेकर ग्रामीण लामबंद

कोरोना के कारण लम्बे समय से बंद स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने की मांग को लेकर ग्रामीण लामबंद हो चुके हैं | कांकेर जिले के कोइलीबेड़ा क्षेत्र के 18 पंचायतों के 68 गाँव के ग्रामीणों में सडक पर उतर कर प्रदर्शन किया | ग्रामीणों का कहना था कि पिछले दो सालों से स्कूल बंद हैं , वहीं ऑनलाइन क्लास के लिए कोई बुनियादी सुविधाएँ नही है ,इस लिए स्कूल खोला जाय और बच्चों को स्कूल में पढ़ने की अनुमति दी जाय |

कांकेर जिले के विकास खंड कोइलीबेड़ा वनांचल क्षेत्र होने के साथ -साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं ,यहाँ कई गाँव ऐसे हैं जहाँ ऑनलाइन पढ़ाई हेतु इंटरनेट कनेक्टिविटी की कोई सुविधा नही है ,जिसके कारण विगत दो वर्षों से ऑनलाइन तथा ऑफलाइन पढ़ाई बंद है |

ग्रामीणों का कहना है ,प्रदेश में कोरोना की स्थिति अब सामान्य हो रही है ,इस लिए स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू किया जाना चाहिए | प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि शीघ्र ही स्कूल खोलने का निर्णय नही लिया गया तो उग्र आन्दोलन किया जायेगा | 

बालक पालक संघर्ष समिति ने ये कहा -

स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई शुरू करने की मांग को लेकर बालक पालक संघर्ष समिति का कहना है कि हमें ऑनलाइन पढ़ाई नही चाहिए ,क्योंकि हमारे क्षेत्र के गाँव में नेटवर्क की समस्या है ,वहीं ज्यादातर परिवार गरीब तबके के हैं ऐसे में ऑनलाइन क्लास हेतु महंगे मोबाइल नही खरीद सकते | प्रदेश में कोरोना की स्थिति सामान्य हो रही है अतः स्कूलों में बच्चों को बुलाकर कोरोना नियमों का पालन करते हुए पढ़ाया जाय |

बरसाती सीजन में पारा क्लास अव्यवहारिक -

बालक पालक संघर्ष समिति का कहना है कि शासन द्वारा पारा क्लास का आदेश जारी किया गया है , जोकि बरसाती सीजन के लिए अव्यवहारिक है | बारिश के मौसम में शाला से बाहर किसी अन्य स्थान पर बच्चों को बुलाना कई तरह के आशंकाओं जन्म देता है |

बरसाती सीजन में कई तरह के जीव जन्तु बाहर आ जाते हैं , इस लिए बारिश के मौसम में शाला ही सबसे सुरक्षित स्थान है , वहीं हाई /हायर सेकेंडरी के विद्यार्थियों को शाला से दूर किसी अन्य स्थान पर अध्यापन हेतु बुलाना उचित नही है |

बीईओ ,बीआरसी कार्यालय में रहें -

ग्रामीणों ने खास कर बीईओ ,बीआरसी कार्यालय कोइलीबेड़ा में उपस्थित रहकर शाला का नियनित निरिक्षण करने ,पाठ्यपुस्त ,निःशुल्क गणवेश , छात्रवृत्ति की नगद भुगतान ,शाला भवन बनाने , एकल शिक्षकीय शाला में कम से कम तीन शिक्षक पदस्थ करने ,ग्रंथालय ,कंप्यूटर प्रयोग शाला ,जाति निवास प्रमाण पत्र जारी करने , शिक्षकों के रिक्त पद भरने ,शाला में बिजली ,पंखा लगाने की मांग की है |

निजी शाला संचालक भी शाला खोलने के पक्ष में -

सोमवार को ही निजी शाला संघ द्वारा कलेक्टर कार्यालय पहुँच कर ज्ञापन सौपा और मांग किया कि प्रदेश में कोरोना की स्थितिह लगातार सामान्य हो रही है ,कई जिले में ट्यूशन क्लास खोलने की अनुमति दे दी गई है ,इस लिए 1 जुलाई से शाला खोलने की अनुमति दिया जाए | वहीं स्कूल बसों का रोड टेक्स तथा स्कूल बसों के लिए लिये गये कर्ज में छुट दिया जाय |

स्थिति सामान्य नही होने तक बच्चो के लिए शाला नही खुलेगा शिक्षामंत्री-

ग्रामीण जहां बच्चों के लिए शाला खोलने की मांग कर रहे हैं ,वहीं शिक्षा मंत्री प्रेमसिंह टेकाम ने पत्रकारों को दिए अपने एक बयान में कहा है ,प्रदेश के स्थिति जब तक सामान्य नही हो जाती तब तक बच्चों को शाला बुलाना सम्भव नही है।

 कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर सरकार बहुत ही ज्यादा अहतियात बरत रही हैं ,क्योंकि एक्सपर्ट के अनुसार यह वेरिएंट बच्चों के लिए बहुत ज्यादा घातक है,जिसका अक्टूबर के आसपास आने की सम्भावना है।

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