पदोन्नति में आरक्षण - छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच आरक्षण पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण के मानक में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है तथा कोर्ट ने अपने पहले के फैसलों में जो आरक्षण के पैमाने तय किए हैं, उसमें छेड़छाड़ नहीं कर सकने की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण प्रकरण में आज 28,01,2022 को हुई सुनवाई की मुख्य बाते-
1. प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए न्यायालय कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकता है|
2. राज्य प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य है |
3. आरक्षण के लिए मात्रात्मक डेटा के संग्रह के लिए संवर्ग इकाई होना चाहिए। संग्रह पूरे वर्ग/वर्ग/समूह के संबंध में नहीं हो सकता है, लेकिन यह उस पद के ग्रेड/श्रेणी से संबंधित होना चाहिए जिस पर पदोन्नति मांगी गई है |
4. 2006 के नागराज फैसले का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा |
5. बीके पवित्रा (द्वितीय) में समूहों के आधार पर आंकड़ों के संग्रह को मंजूरी देना, न कि संवर्गों के आधार पर, जरनैल सिंह की उक्ति के विपरीत है|
प्रांताध्यक्ष कृष्णकुमार नवरंग -
गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग के प्रांताध्यक्ष कृष्णकुमार नवरंग ने बताया की मा सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण बहाली पर हुई सुनवाई यह स्पष्ट करता है की सरकार के निर्णय में यदि आरक्षण देना राज्य के परिस्थिति अनुकूल है तो न्यायालय उसे अपर्याप्त का निर्धारण हेतू मापदंड निर्धारित नहीं कर सकता साथ ही अगर उत्तरा खंड राज्य की भांति अगर कोई राज्य पदोन्नति में आरक्षण नहीं देने का आदेश देता है तो न्यायालय इस राज्य से उस वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है का मात्रात्मक डेटा एकत्र करने बाध्य कर सकती है ।
साथ ही राज्य को सभी संवर्ग , स्थिति वर्ग आदि मौजूद आकलन से जुड़े विषयों पर डेटा एकत्र कर आरक्षण पर फैसला लेना होगा छ ग में 14फरवरी को पुनः सुनवाई है ज्ञात हो यह फैसला या बहस नहीं है इसलिए उस दिन का इंतजार कीजिए ।
अतः संघ अरक्षण विहीन पदोन्नति में रोक लगाने की मांग को लेकर आयोजित चरणबद्ध आंदोलन को जारी रखेगी|
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