shikshaklbnews - जिला स्तरीय होम आइसोलेशन कॉल सेंटर में ड्यूटी के दौरान शिक्षक की मौत होने से हड़कंप मच गया , इसके साथ ही एक बार फिर से शिक्षकों कोविड सेंटरों में ड्यूटी लगाये जाने का विरोध शुरू हो गया है। शिक्षकों का कहना है कि जिस काम को स्वास्थ्य विभाग को करना चाहिए उसके लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है, जबकि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि शिक्षकों को ड्यूटी कोविड सेंटरों में नहीं लगाना है।
मामला कवर्धा जिले का है , इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला स्तरीय होम आइसोलेशन कॉल सेंटर कवर्धा में दिनांक 24 जनवरी से 11 फरवरी तक दो पाली में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। जिसमें प्रथम पाली में 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक 14 शिक्षक व दोपहर 2:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक 14 शिक्षकों की ड्यूटी ड्यूटी करते हैं।
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घटना मंगलवार की है जहां ड्यूटी में लगे बरबसपुर संकुल के अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक शेरू खान का आकस्मिक निधन ड्यूटी के दौरान हो गया, जिसके चलते वहां मौजूद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। इस घटना की जानकारी विभाग को दी गई तत्पश्चात पुलिस टीम व स्वास्थ्य विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंचे और मृतक को जिला अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक का पीएम किया गया है फ़िलहाल मौत के कारणों का पता नही चल पाया है
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कवर्धा में पहले भी कॉल सेंटर में ड्यूटीरत 14 शिक्षकों का कोरोना टेस्ट आया था पॉजिटिव-
कवर्धा जिले में पिछले वर्ष जिला स्तरीय कंट्रोल रूम में ड्यूटी करते हुए 15 मई 2021 को ड्यूटीरत 14 शिक्षकों का टेस्ट पॉजिटिव आया था। इसके बाद शिक्षकों ने ज्ञापन सौंपकर होंम आइसोलेशन कॉल सेंटर में शिक्षकों को एकत्रित करने के स्थान पर work-from-home के तहत कार्य करने आदेश जारी करने की मांग किया था।
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50 लाख की बीमा कवर देने की मांग-
प्रदेश में जबसे वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण फैला है , तब से शिक्षकों की ड्यूटी कोरोनावायरस कार्यों में लगाई जा रही है। कोरोना ड्यूटी करते हुए से अब तक लगभग 5 से 6 सौ शिक्षकों की मौत हो चुकी है परंतु उन्हें बीमा कवर का लाभ नही दिया जा रहा है। टीचर्स एसोसिएशन ने मांग किया है कि चूंकि शिक्षक की मौत कोरोना ड्यूटी के दौरान हुआ है इसलिए जिला प्रशासन उनके परिजनों को अविलंब ₹50 लाख प्रदान करें।
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कोरोना ड्यूटी तो फिर कोरोना वारियर्स क्यों नहीं-
इस घटना से नाराज शिक्षकों ने कहा है कि शासन उनको कोराना वारियर्स नहीं मानती बावजूद इसके कोरोना से जुड़ी सभी प्रकार के कार्यों में उनकी ड्यूटी लगाई जाती है ,जोकि नियम विरुद्ध है। घर शासन-प्रशासन शिक्षकों को कोरोना वारियर्स नहीं मानती है तो फिर ऐसे जोखिम भरे कार्यों में उनकी ड्यूटी क्यों लगाया जाता है समझ से परे है।
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