स्कूल खुलते ही शिक्षकों का लगा गैर शिक्षकीय कार्य में ड्यूटी.........

shikshaklbnews-स्कूल खुले महज एक सप्ताह ही हुआ है और शिक्षकों का गैर शिक्षकीय कार्य में ड्यूटी लगना शुरू हो गया है। NAS रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा स्तर 30 राज्यों से भी पीछे है। इस संबंध में शासन प्रशासन द्वारा लगातार चिंता व्यक्त की जा रही है , वहीं शिक्षक बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता को लेकर काफी चिंतित हैं।

राज्य शासन द्वारा NAS सर्वे के आधार पर छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए 16 जून से ही स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है तथा वार्षिक कैलेंडर भी जारी किया गया है ,जिसमे पुरे सत्र में स्कूलों में कराए जाने वाले क्रियाकलाप का रूप रेखा है | यदि स्कूलों में व्यवस्थित अध्यापन कार्य शुरू होने से पहले ही शिक्षक गैर शिक्षकीय कार्य में लग जाते हैं, सत्र का शुरुआत ही कमजोर पड़ जायेगा |

बीएलओ कार्य में लगा शिक्षकों की ड्यूटी-

कार्यालय तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी रायपुर द्वारा दिनांक 23 जून 2022 को समस्त प्राचार्य ,हायर सेकेंडरी स्कूल /हाई स्कूल ,समस्त प्रधान पाठक ,पूर्व माध्यमिक शाला /प्राथमिक शाला धरसीवा जिला रायपुर को जारी निर्देश में कहा गया है कि जिन शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ में लगाई गई है उन्हें कार्यालय में समय से 2 घंटे पूर्व छोड़ें।

दरअसल मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा जारी निर्देश के अनुसार विधानसभा वार ई- आरओ नेट में प्रदर्शित लगभग एक लाख photo similar entries को बीएलओ द्वारा सत्यापित करवाकर हटाए जाने की कार्यवाही पूर्ण किया जाना है। इसके लिए शिक्षकों को 15 दिवस तक बीएलओ का कार्य करना होगा।

स्कूल खुलते ही चुनौतियां शुरू-

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में जिस प्रकार छत्तीसगढ़ का स्थिति है , इससे शिक्षकों के सामने बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार हेतु कई चुनौतियां हैं। शिक्षकों को बच्चों का गुणवत्ता भी सुधार करना है साथ ही कई गैर शिक्षक की कार्यों को भी संपन्न करना है। इस संबंध में शिक्षक संगठनों का कहना है कि गैर शिक्षक कार्यों के साथ-साथ स्कूलों को प्रयोगशाला बना दिया गया है साथ ही एनजीओ का भी दखल बहुत ज्यादा बढ़ गया है जिसके कारण वे स्वतंत्र रूप से बच्चों को अध्यापन कार्य नहीं करा पा रहे हैं।

शिक्षकों के सामने एक और सबसे बड़ी चुनौती है, शिक्षक बालवाड़ी के साथ-साथ अपने कक्षा के विद्यार्थियों को भी पढ़ायेंगे। जब शिक्षक आंगनबाड़ी में जाकर बच्चों को बालवाड़ी में पढ़ाएंगे तब उनके बच्चों का जो समय लॉस होगा उसे कैसे पूरा कर पाएंगे यह तो समय के साथ ही पता चलेगा।

 शिक्षा के गिरते स्तर से परेशान सहायक शिक्षक फेडरेशन कर सकता है आंदोलन -

सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय सचिव सुखनंदन यादव द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर में गिरावट का प्रभाव न सिर्फ बच्चों पर बल्कि पलकों पर भी पड़ रहा है। शिक्षक भी शिक्षा के गिरते स्तर से बहुत परेशान हो रहे हैं । शिक्षा के गिरते स्तर से आज छत्तीसगढ़ के शिक्षक कितने हतोत्साहित हो गए हैं कि वे अब आंदोलन की राह अपना सकते हैं।


सहायक शिक्षक फेडरेशन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार शिक्षकों को शिक्षा देने के अलावा कई गैर शिक्षक की कार्य करना पड़ रहा है । चूंकि शिक्षक शासकीय कर्मचारी है इसलिए वह बिना किसी टालमटोल के अपना काम करते हैं , गैर शिक्षक की कार्य की अधिकता होने के कारण शिक्षक चाह कर भी अध्यापन कार्य पहले की तुलना में बेहतर तरीके से नहीं करा पा रहे हैं।

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