shikshaklbnews- छत्तीसगढ़ में लंबित महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर 25 जुलाई 2022 से अधिकारी-कर्मचारी संगठन और शिक्षक संगठनों द्वारा आंदोलन का आह्वान किया गया है। 25 जुलाई से स्कूल, कॉलेज, कार्यालय सभी जगह ताला लटकने वाले हैं। सभी संगठनों को लग रहा है कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दिया है , परंतु कहीं ना कहीं आंदोलन को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति आंदोलन को कमजोर कर सकती है।
दरअसल छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी संगठन और शिक्षक संगठन 25 जुलाई से हड़ताल पर जाने वाले हैं, परंतु कुछ संगठनों द्वारा अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा कर दी गई है तो कुछ संगठन 25 से 29 तक 5 दिवसीय हड़ताल पर जा रहे हैं।
शिक्षक संगठनों का आंदोलन में शामिल होने संबंधी अलग -अलग प्रपत्र वायरल हो रहे हैं, जिसमें कुछ में पांच दिवसीय आंदोलन में सम्मिलित होने का उल्लेख है तो कुछ आवेदनों में अनिश्चितकालीन आंदोलन के बात कही गई है। शिक्षक वर्ग बहुत ही ज्यादा कन्फ्यूजन की स्थिति में है , क्योंकि वे स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि उनका संघ पांच दिवसीय धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में शामिल है या अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में सम्मिलित है।
शिक्षकों में बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन की स्थिति-
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल में सम्मिलित होने का सूचना दे चुके हैं ,परंतु उनका संगठन पांच दिवसीय धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में सम्मिलित होने जा रहा है। यही स्थिति उन संगठनों का भी है जो संगठन अनिश्चितकालीन हड़ताल में सम्मिलित है परंतु शिक्षक 25 से 29 जुलाई तक हड़ताल में सम्मिलित होने का सूचना जमा कर चुके हैं।
एक ही स्थान पर अलग अलग रणनीति के साथ आंदोलन-
25 जुलाई 2022 से समस्त संगठनों का महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर आंदोलन शुरू होने जा रहा है। चाहे विकासखंड मुख्यालय हो, जिला मुख्यालय हो या रायपुर स्थित धरना प्रदर्शन स्थल बूढ़ा तालाब हो सभी जगह समस्त कर्मचारी संगठन DA और HRA की मांग को लेकर अलग-अलग रणनीति के साथ एक ही स्थान पर बैठेंगे।
आंदोलन पर पड़ेगा असर-
DA और HRA सभी संगठनों का मांग है, परंतु रणनीति अलग अलग है, और सभी अपने - अपने नीति पर अडिग है, उनका मानना है कि वे जो कर रहे हैं वह सही है, परंतु यदि समय रहते सभी संगठन अपने रणनीति में बदलाव नहीं करते हैं और एक बैनर तले नहीं आते हैं तो निश्चित ही आंदोलन पर इसका असर पड़ेगा।
जब मांग एक तो फिर साथ आने में परेशानी क्या -
जब मांग एक तो फिर एक साथ आने में क्या परेशानी? यह प्रश्न एक ऐसा प्रश्न है, जिसका उत्तर अभी तक किसी भी आम शिक्षक को नहीं मिल पाया। एक ही मांग को लेकर अलग-अलग संगठन अलग-अलग समय पर आंदोलन करते हैं और बिना मांग पूरा हुए वापस भी आ जाते हैं, ऐसे में आम शिक्षक जो पूरी तन्मयता के साथ आंदोलन में शामिल होते हैं , वे धीरे -धीरे हताश होने लगते हैं |
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