शिक्षा विभाग में शिक्षा के अलावा सब कुछ......कहीं बच्चों से साफ -सफाई कराने पर शिक्षक निलम्बित ,कहीं अध्यापन कार्य छोड़ मध्यान्ह भोजन पका रहे शिक्षक

shikshaklbnews- स्कूल खुले एक माह पूर्ण होने को है और शिक्षा विभाग के पास इस सत्र के लिए लगता है कोई भी सही रणनीति नहीं है। राज्य कार्यालय के साथ-साथ स्थानीय कार्यालयों द्वारा गुणवत्ता तथा शाला के अन्य गतिविधियों के लिए लगातार आदेश जारी हो रहे हैं। जिससे शिक्षकों के पास कार्यों का पुलिंदा जमा हो गया है,  शिक्षक बच्चों को पढ़ाना छोड़ रिकॉर्ड मेंटेन करने में लगे हुए हैं।

शिक्षा सचिव डॉ आलोक शुक्ला द्वारा शिक्षकों को निकम्मा कहे जाने का मामला शांत ही नहीं हुआ है और अपने तरीके का 2 नए मामले सामने आए हैं, जिससे शिक्षक अध्यापन कार्य को छोड़कर उक्त कार्यों को पूरा करने में जुटे हुए हैं।

बच्चों द्वारा स्कूल की साफ सफाई करने पर प्रधान पाठक निलंबित-

स्कूल में झाड़ू लगाते हुए बच्चों का वीडियो वायरल होने पर मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक को संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग सरगुजा द्वारा निलंबित कर दिया गया है। ज्ञात हो कि 16 जून से सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं ऐसे में अब सवाल उठता है, कि स्कूलों में साफ-सफाई कौन करे ? क्या प्रधान पाठक और शिक्षक प्रतिदिन स्कूलों में झाड़ू लगाएंगे और शौचालय को साफ करेंगे या फिर शिक्षण का कार्य करेंगे ?

अब शिक्षकों के सामने दुविधा की स्थिति निर्मित हो गई है, कि वे बच्चों को पढ़ाना छोड़ शौचालय और शाला प्रांगण की साफ सफाई करें या फिर स्कूलों को वैसे ही स्थिति में छोड़ दें? क्योंकि सफाई कर्मचारी हड़ताल पर है और बच्चों से यदि साफ सफाई कराते हैं,तब उच्च अधिकारी निलंबित कर देते हैं और नहीं करते तब डांट खानी पड़ती है।

साफ-सफाई स्कूली शिक्षा का अभिन्न अंग। शायद उच्च अधिकारी अपने विभाग में चल रहे गतिविधियों से ही वाकिफ नहीं है। क्योंकि स्कूलों में साफ सफाई हेतु बाल कैबिनेट का गठन किया जाता है,  जिसमें स्वच्छता मंत्री बनाने का प्रावधान है। वही सह संज्ञानात्मक क्षेत्र के अंतर्गत स्वच्छता पर बच्चों को ग्रेड दिया जाता है।

रसोइयों का समय निर्धारित करने पर शिक्षक बना रहे हैं मध्यान भोजन-

दूसरा मामला बालोद जिले का है जहां शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के बजाय मध्यान भोजन बनाने में लगे हुए हैं। दरअसल शासन द्वारा रसोइयों को हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए उन्हें डेढ़ घंटे तक काम करने का आदेश जारी किया है। शिक्षा अधिकारियों द्वारा स्कूलों को उक्त आदेश को प्रसारित कर दिया गया है।

रसोईया आदेश का पालन करते हुए डेढ़ घंटे ही स्कूल आकर जितना काम हो सकता है वह निपटा कर चले जाते हैं और उसके बाद जो भी काम बचता है, उसकी जवाबदारी संस्था प्रमुखों पर आ गई है या फिर मध्यान भोजन चला रहे स्व सहायता समूह पर।

स्व सहायता समूह रसोइयों का समय निर्धारित करने पर भी खाना बनाने से इंकार कर रहे हैं ऐसे में पूरी जवाबदारी संस्था प्रमुखों पर आ गई है। क्योंकि आज शासन के आदेश अनुसार किसी भी स्थिति में मध्यान्ह भोजन बंद नहीं होना है ऐसे में शिक्षक अध्यापन कार्य छोड़कर स्कूलों में खाना पका रहे हैं।

क्या कहते हैं beo और deo -

बालोद जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि हमने आदेश जारी किया है कि अगर रसोईया डेढ़ घंटे बाद काम छोड़कर जा रहे हैं तो आगे की जिम्मेदारी योजना का संचालन कर्ता स्व सहायता समूह की है। स्कूलों से शिकायतें आ रही है इस पर कोई रास्ता निकालने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

वही विकास खंड शिक्षा अधिकारी बालोद का कहना है कि व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है सरकार के आदेश का ही हम पालन कर रहे हैं ब्लॉक में मध्यान्ह भोजन योजना की प्रभारी का कहना है कि शासन का आदेश प्राप्त हुआ है जिसको लेकर उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद सभी स्कूलों को आदेश भेजा गया है संस्था प्रमुखों को भी इसकी जवाबदारी दी गई है कि वे समूह के जरिए भोजन पकवायें , कुछ जगह खुद शिक्षक भोजन पका रहे हैं यह गलत है उन्हें समूह वालों को इसके लिए निर्देशित कर उनसे काम करवाना चाहिए।

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