shikshaklbnews- प्रदेश में फर्जी प्रमाण पत्र के मदद से नौकरी प्राप्त करने की खबरें लगातार आते ही रहता है | शिकायत के आधार पर फर्जी प्रमाणपत्र के मदद से सरकारी नौकरी प्राप्त करने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाती है , परंतु इसे रोकने के लिए अभी तक कोई कारगर उपाय नहीं बन पाया है। ज्यादातर कार्यवाही शिकायत के आधार पर ही की जाती है।
फर्जी सर्टिफिकेट बनवा कर सरकारी नौकरी हथियाने से जो उसके लिए वास्तव में योग्य है ऐसे व्यक्ति के अधिकारों का हनन होता है। दरअसल फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवा का सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाले लोगों के खिलाफ छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है ,ताकि फर्जी दिव्यान्गता प्रमाण पत्र के आधार सरकारी नौकरी में हो रही योग्य व्यक्ति के चयन को रोका जा सके |
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दिव्यांग सेवा संघ ने दायर की जनहित याचिका-
फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर बड़ी संख्या में लोगों के सरकारी नौकरी पर आने के शिकायत के आधार पर दिव्यांग सेवा संघ ने माननीय हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है ,इसमें कहा गया है कि फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी प्राप्त करने से जो वास्तविक दिव्यांगजन है उनके अधिकारों का हनन हो रहा है।
फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हथियाने के संबंध में 2019 में दायर की गई थी जनहित याचिका-
प्रदेश में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हथियाने के संबंध में माननीय हाईकोर्ट में 2019 में राधा कृष्ण गोपाल ने जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में माननीय हाईकोर्ट ने कहा था कि जब कभी भी दिव्यांग सर्टिफिकेट के दुरुपयोग की शिकायत किया जाये, तब प्राधिकृत अधिकारी इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करनी करे , ताकि फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर कोई भी व्यक्ति नौकरी न कर सके।
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माननीय हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में जारी किया गया है सर्कुलर-
2019 में माननीय हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के परिपालन में मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था जिसमें दिव्यांग जनों को शासकीय कल्याणकारी योजना और रोजगार का लाभ देने के पूर्व जिला मेडिकल बोर्ड के तरफ से जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र का परीक्षण कराए जाने की बात कही गई थी।
इस सर्कुलर में कहा गया था कि जिला मेडिकल बोर्ड की तरफ से जारी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का परीक्षण कर संबंधित विभागीय सुनिश्चित करें , कि दिव्यांग प्रमाण पत्र निशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप ही है और उसका उपयोग वास्तविक दिव्यांग व्यक्ति कर रहा है।
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2019 में जारी सर्कुलर के आधार पर कार्यवाही नहीं होने से दायर की गई जनहित याचिका-
माननीय हाईकोर्ट के निर्देश के परिपालन में मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश के बाद भी कार्यवाही नहीं होने पर छत्तीसगढ़ जिला सेवा संघ माननीय हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को आदेशित किया है कि 2 सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर कर बताया कि दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच के लिए कोई सकारात्मक कदम क्यों नहीं उठाए गए।
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